Veer Savarkar (Born 28th May 1883) was a visionary, revolutionary patriot and a brilliant personality. His name has been carved in golden letters not only in the history of India but also in the history of the world ! The nation was his whole and soul; therefore, the extraordinary literature he created has the national interest at heart. There have been many a litterateur and even several revolutionaries; but there is no revolutionary litterateur like Veer Savarkar !
सावरकर दुनिया के अकेले #स्वातंत्र्य योद्धा थे जिन्हें दो जन्म की आजीवन कारावास की सजा मिली, सजा को पूरा किया और फिर से राष्ट्र जीवन में सक्रिय हो गए।
वे विश्व के ऐसे पहले #लेखक थे जिनकी कृति 1857 का प्रथम स्वतंत्रता को दो-दो देशों ने प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया।
सावरकर पहले ऐसे भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने सर्वप्रथम #विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।
वे पहले स्नातक थे जिनकी स्नातक की उपाधि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण अँगरेज सरकार ने वापस ले लिया।
वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने सर्वप्रथम विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।
वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय विद्यार्थी थे जिन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया। फलस्वरूप उन्हें #वकालत करने से रोक दिया गया।
वीर सावरकर ने राष्ट्र ध्वज तिरंगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव सर्वप्रथम दिया था, जिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने माना।
उन्होंने ही सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य घोषित किया। वे ऐसे प्रथम राजनैतिक बंदी थे जिन्हें विदेशी (फ्रांस) भूमि पर बंदी बनाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला पहुँचा।
वे पहले क्रांतिकारी थे जिन्होंने राष्ट्र के #सर्वांगीण विकास का चिंतन किया तथा बंदी जीवन समाप्त होते ही जिन्होंने अस्पृश्यता आदि कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया।
दुनिया के वे ऐसे पहले कवि थे जिन्होंने अंदमान के एकांत #कारावास में जेल की दीवारों पर कील #कोयले से कविताएँ लिखीं और फिर उन्हें याद किया। इस प्रकार याद की हुई दस हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुन: लिखा।